मैं मानस, 46 साल का हूँ। दिल्ली के एक पुराने मोहल्ले में हमारा फ्लैट है, जहाँ गलियों में रात को ठेले वालों की आवाजें गूंजती हैं। मेरी बीवी शैला, 40 की है। हमारी शादी को 20 साल हो चुके हैं। पहले शैला ऐसी थी कि उसकी एक नजर से मेरा लंड खड़ा हो जाता था। गोरी, भरे हुए मम्मे, गोल गांड, और वो हंसी जो दिल में आग लगा देती थी। लेकिन अब वो बदल गई है। चुदाई के वक्त वो बस लेटती है, जैसे कोई काम निपटा रही हो। न वो सिसकारियां, न वो जुनून। मैं तंग आ चुका था। हर रात वही बोरिंग रुटीन—पांच मिनट की चुदाई, और फिर वो करवट लेकर सो जाती।
पहले शैला जंगली थी। एक रात में दो-तीन बार चुदवा लेती। मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसती, जैसे कोई भूखी शेरनी। उसकी चूत हमेशा गीली रहती, और गांड में लंड लेते वक्त वो सिसकारती, “मानस, और जोर से, फाड़ दे!” 69 में हम घंटों एक-दूसरे को चाटते। उसकी चूत का नमकीन स्वाद, उसकी जीभ का मेरे लंड पर नाचना—वो सब अब सपना लगता है। वो चिल्लाती, “लंड गहरा डाल, मेरी चूत को भर दे!” लेकिन पिछले चार-पांच सालों से वो ठंडी पड़ गई। मैंने ठान लिया कि मुझे उसकी वो आग फिर से जलानी है।
एक दिन, जब शैला मंदिर गई थी, मैंने उसका ड्रॉवर खोला। पुरानी चाबी से ताला खुल गया। अंदर एक काला, मोटा डिल्डो पड़ा था—लगभग नौ इंच का, मेरे लंड से दोगुना मोटा। मेरे दिमाग में बिजली कौंधी। शैला को अब मेरा छह इंच का लंड मजा नहीं देता। इस प्लास्टिक के मूसल ने उसकी चूत की भूख बढ़ा दी थी। मैंने सोचा, क्यों न उसे किसी असली, तगड़े लंड से चुदवाऊं? ये खयाल मेरे दिल में घर कर गया। मैं शैला को किसी और के नीचे तड़पते देखना चाहता था। मेरा लंड ये सोचकर ही तन गया।
एक रात, हम अपने भतीजे की शादी से लौट रहे थे। जुलाई की उमस थी, और शैला की पतली नाइटी उसके पसीने से चिपक गई थी। उसकी गांड के उभार साफ दिख रहे थे, जैसे दो मुलायम तकिए। हमारी बिल्डिंग के गेट पर नया चौकीदार था—मिन्दर, कोई पचास साल का। सांवला, मोटा, लंबा, दाढ़ी में सफेद बाल। उसकी आंखें शैला की गांड पर टिक गईं, जैसे कोई भूखा कुत्ता। शैला ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन मैंने सब देख लिया। मेरे दिमाग में वही खयाल आया—यही वो मर्द है, जो शैला की चूत में आग लगा सकता है।
अगले दिन, मैंने मिन्दर को टटोलने की ठानी। शाम को उसे पास की ठेके वाली गली में ले गया। हमने देसी दारू के दो-दो पैग मारे। वो खुल गया। बिहार का था, बीवी गांव में। नशे में गालियां बकने लगा, “साला, इहां कोई माल मिले, तो मजा आ जाए!” मैंने मौका देखकर कहा, “कल तू मेरी बीवी को घूर रहा था।” वो हड़बड़ाया, फिर हंसा, “भैया, भाभी की गांड तो कमाल है! एक बार मौका मिले, तो…” वो रुक गया। मैंने सीधे पूछा, “चोदेगा उसे?” मिन्दर ने गिलास टेबल पर रखा, आंखें चमकाईं, “बोलो, भैया, कब?”
मुझे उसका लंड देखना था। शैला को तो मोटा, तगड़ा मूसल चाहिए था। जब मिन्दर पेशाब करने उठा, मैं साथ गया। उसने पैंट की जिप खोली, और जो लंड निकला, उसे देखकर मेरे मुंह से “हाय” निकल गया। काला, नसों से भरा, पूरा नौ इंच। नशे में झूल रहा था। मैं मन ही मन खुश हो गया। ये वही था, जो शैला को चाहिए।
उसी रात मैंने मिन्दर को घर बुलाया। शैला को बोला, “ये रात को यहीं रुकेगा, गेट पर अकेले डर लगता है।” शैला ने भौंहें चढ़ाईं, लेकिन कुछ बोली नहीं। वो किचन में सब्जी काटने लगी। उसकी नाइटी में उसकी गांड हिल रही थी, और मिन्दर की नजरें उस पर जमी थीं। मैंने मिन्दर को अपनी पुरानी नीली लुंगी दी और कहा, “आराम से सोना।” रात के साढ़े दस बजे, हम अपने बेडरूम में थे। शैला ने हल्की गुलाबी नाइटी पहनी थी, जिसमें उसके मम्मे और गांड साफ उभर रहे थे। मिन्दर को मैंने बेडरूम के बाहर, फर्श पर पुरानी चटाई पर सुलाया।
थोड़ी देर बाद, जब शैला खर्राटे ले रही थी, मैंने चुपके से मिन्दर की लुंगी ऊपर की। उसका काला लंड खुला पड़ा था, आधा तना हुआ, जैसे कोई सांप सो रहा हो। मैंने जानबूझकर जोर से खांसा, और फिर गेस्ट रूम में जाकर दरवाजा जोर से बंद किया, ताकि शैला जाग जाए। मैं दरवाजे की झिरी से झांकने लगा। शैला उठी, और उसकी नजर मिन्दर के लंड पर पड़ी। उसकी सांसें रुक गईं। वो धीरे-धीरे पास गई, जैसे कोई चोर। उसने मिन्दर के लंड को छुआ, फिर धीरे से सहलाया। मिन्दर, जो सोने की एक्टिंग कर रहा था, हल्का-सा हिला।
शैला अचानक डर गई, लेकिन तभी मैं कमरे में आया। वो हड़बड़ाई, “मानस, ये क्या…” मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला, “शैला, तुझे वही मजा चाहिए न, जो पहले था? कर ले, मैं देखना चाहता हूँ।” शैला की आंखों में डर था, लेकिन उसकी सांसें तेज थीं। वो बोली, “पहले इसे नहाना पड़ेगा। इतना गंदा…” वो मिन्दर को बाथरूम में ले गई। मैं दरवाजे के पास खड़ा होकर देखने लगा।
बाथरूम में शावर की फुहारें गूंज रही थीं। शैला ने अपनी नाइटी उतारी। उसका नंगा बदन पानी में चमक रहा था—भारी मम्मे, सख्त निप्पल, और गोरी जांघें, जिनके बीच उसकी चूत हल्के बालों में छिपी थी। मिन्दर का लंड तनकर पूरा नौ इंच का हो गया। शैला ने मिन्दर के बदन पर साबुन लगाना शुरू किया। वो उसके चौड़े सीने, पेट, और फिर लंड तक पहुंची। उसने मिन्दर के मोटे लंड को दोनों हाथों से पकड़ा, साबुन से रगड़ते हुए बोली, “इतना बड़ा… ये तो मेरी चूत को चीर देगा।” मिन्दर ने हंसकर कहा, “भाभी, अभी तो बस शुरूआत है।”
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शैला घुटनों पर बैठ गई। पानी की फुहारें उसके चेहरे पर गिर रही थीं। उसने मिन्दर के लंड को जोर-जोर से हिलाना शुरू किया। “हाय, कितना सख्त है,” वो बड़बड़ाई। मिन्दर ने उसके बाल पकड़े, “चूस, भाभी, चूस इसे!” शैला ने लंड मुंह में लिया। वो इतना मोटा था कि उसके होंठ खिंच गए। उसने जीभ से सुपाड़े को चाटा, फिर पूरा मुंह खोलकर गले तक लेने की कोशिश की। मिन्दर की सिसकारी निकली, “हाय, भाभी, तू तो रंडी है!” शैला का थूक लंड पर चमक रहा था। वो रुकी, फिर मिन्दर को घुमाया। उसने मिन्दर की गांड पर साबुन लगाया, और फिर, मेरे हैरान होते हुए, अपनी जीभ मिन्दर की गांड के छेद पर ले गई। मिन्दर उछल पड़ा, “अरे, ये क्या, भाभी!” शैला ने चाटना जारी रखा, जैसे कोई भूखी। मैं बाहर खड़ा ये देख रहा था, मेरा लंड पैंट में फटने को था।
नहाने के बाद शैला मिन्दर को बेडरूम में लाई। उसने तौलिया लपेटा था, जो मिन्दर ने खींचकर फेंक दिया। शैला का नंगा बदन रात की ट्यूबलाइट में चमक रहा था। उसकी चूत गीली थी, और मम्मे सख्त। मिन्दर ने शैला को बेड पर धकेला और उसकी जांघें फैलाईं। “अब तेरी चूत की बारी,” उसने कहा। उसने शैला की चूत पर मुंह रखा और चाटने लगा। शैला की सिसकारियां गूंजीं, “हाय, मिन्दर, चाट… मेरी चूत को चाट!” मिन्दर की जीभ शैला की चूत के दाने को रगड़ रही थी। शैला ने उसका सिर पकड़कर दबाया, “हाय, और चाट… मुझे खा जा!”
मिन्दर ने अपना लंड पकड़ा और शैला की चूत पर रगड़ा। “तैयार है, भाभी?” उसने पूछा। शैला सिसकारी, “डाल दे, मिन्दर, मेरी चूत को भर दे!” मिन्दर ने एक जोरदार धक्का मारा। उसका काला, नौ इंच का लंड शैला की चूत में समा गया। शैला चीखी, “हाय, मर गई… इतना मोटा!” मिन्दर ने धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ शैला की चूचियां उछल रही थीं। बेड चरमरा रहा था, और शैला की सिसकारियां मोहल्ले तक जा रही थीं।
मैं दरवाजे पर खड़ा सब देख रहा था। मेरी बीवी, जो सालों से ठंडी थी, अब किसी गंदे चौकीदार के नीचे तड़प रही थी। मेरा लंड दर्द कर रहा था, लेकिन मैंने उसे छुआ नहीं। मिन्दर ने शैला को घोड़ी बनाया। उसने शैला की गांड पर थप्पड़ मारा, “क्या मस्त गांड है, भाभी!” उसने उंगली शैला की गांड में डाली, फिर थूक लगाकर अपना लंड सेट किया। शैला सिसकारी, “हाय, मिन्दर, गांड में डाल…!” मिन्दर ने धीरे-धीरे लंड पेला। शैला की चीख निकली, “हाय, फट गई!” लेकिन वो पीछे धकेली, जैसे और चाहिए।
मिन्दर ने शैला की चूत और गांड को बारी-बारी चोदा। शैला चिल्ला रही थी, “चोद, मिन्दर, मेरी चूत फाड़ दे!” मिन्दर ने उसे लिटाया और मिशनरी में पेलना शुरू किया। उसका लंड शैला की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और चूत का पानी बेड पर टपक रहा था। शैला ने मिन्दर को चूमा, उसकी जीभ मिन्दर के मुंह में थी। “मुझे चोद… मुझे तेरा लंड चाहिए!” वो बड़बड़ा रही थी। मैं देख रहा था कि मेरी बीवी की आग फिर से जल उठी थी। मिन्दर ने शैला को जमकर चोदा, जैसे कोई भूखा जानवर। उसकी गालियां, शैला की सिसकारियां, और बेड की आवाज ने कमरा हवस से भर दिया।